सकारात्मकता हमेशा हर एक व्यक्ति के जीवन को खुशमय बनाती है।
सफलता संयोग से प्राप्त होने वाली चीज नहीं है।
अध्यापक दरवाजा खोलता है, परन्तु भीतर प्रवेश करने का काम आपको ही करना होता है। ज्ञान अमल से सार्थक होता है, अमल नहीं तो ज्ञान अर्थहीन है। जो आप आज तक कर रहे थे वही आगे भी करेंगे तो आपको वही मिलेगा जो आज तक मिलता था।
कई बार यह सोच आदमी को सफलता से दूर रखती है, कि जो लोग सफल हो रहे हैं वे हमसे अधिक होशियार हैं, ऐसी बात नहीं है कि आपसे ज्यादा होशियार कोई नहीं है।
दुनिया में हजारों लोग ऐसे हैं जिन्हें आपसे अधिक मुश्किलों का, आपसे अधिक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते, फिर भी वे प्रतिकूल परिस्थितियों पर जीत हासिल करते हुए आगे निकल गए।
सफल होना निश्चय ही सरल काम है, सरल कैसे है यह विस्तार से, मैं आपको बताता हूँ-
सफल होने के लिये पहले हमें यह तय करना होता है, कि सफल होने का हमारे नजदीक अर्थ क्या है ? हमें क्या मिला मतलब हम सफल हुए?
और एक बार तय हो जाये कि यह लक्ष्य है तथा यह सफलता का रास्ता है, तो फिर उस रास्ते से जाना और लक्ष्य प्राप्त होने तक चलते रहना सफलता का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
कोई बाधा क्यों न आये उस बाधा को पार करते हुए लक्ष्य प्राप्त होने तक चलते ही रहना है।
स्पष्ट और निश्चित ध्येय हो तो मनुष्य अत्यंत कठिन मार्ग पर भी प्रगति करेगा,
ध्येयहीन मनुष्य, मार्ग कितना ही सरल होने के बावजूद कहीं नहीं पहुँचेगा।
जब मनुष्य किसी चीज के पीछे दीवाना हो जाता है, उस चीज को हासिल करने में उस आदमी की सहायता करने के लिये सारी सृष्टि आगे बढ़ती है।
सफल होने के लिये
आपको क्या चाहिये यह तय कीजिये। स्पष्ट शब्दों में लिख लीजिये।
उसे हासिल करने की या पूर्ण करने की अंतिम तारीख तय कीजिये ।
इस ध्येय को हासिल करने के लिये जो करना होगा उन कामों की सूची बनाइये ।
इस सूची को उचित क्रम दीजिये (आगे जरूरत के हिसाब से इस सूची में अथवा क्रम में परिवर्तन किया जा सकता है।)
तुरन्त काम में जुट जाइये। बिल्कुल देर मत कीजिए ।
रोज कुछ न कुछ कीजिये ।
जिस काम के करने में डर लगता हो उसे करें, भय का अंत निश्चित है।
यदि आप जोखिम नहीं ले रहे हैं तो आप उससे भी बड़ा जोखिम ले रहे हैं।
कुछ न करने में ही असली खतरा है।
बंदरगाह पर जहाज सुरक्षित रहते हैं, लेकिन वहाँ रखने के लिये जहाज नहीं बनाये जाते। सारे खतरे और धोखे समाप्त होने तक जो निकलने के लिये तैयार नहीं हैं, वह कभी नहीं निकल पाएगा।
असफल होन के कारणों की सूची बना कर किसी ध्येय को हासिल करना असंभव है यह घोषित करने के बजाये सफल होने के कारणों की सूची बनाइये।
असफल आदमी को हर अवसर में बाधा दिखाई देती है, सफल व्यक्ति को हर बाधा में अवसर ।
जो चाहें सो कैसे पाऐं
एक प्राचीन यूनानी लोककथा है... किसी कस्बे के चौराहे पर लंगोटी पहने एक बूढ़ा हाथ उठा- उठाकर चिल्ला रहा था, 'जो चाहें सो पाएँ।' लोग उसकी ओर देखते, मुस्कुराते और चल देते। उसकी दीन हीन दशा देखकर लोगों को सहज विश्वास हो जाता था कि वह कोई पागल है। जब उसने देखा कि लोग उसके कथन को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं, तो उसने चीखना शुरू किया 'बेवकूफो। मेरी बात सुनो। तुम जो चाहो सो पा सकते हो, मेरे पास इसका मंत्र है।'
एक नौजवान रूक गया। कुछ देर तक उसका तमाशा देखने के बाद वह उसके पास गया।
युवक मुस्कुराया, उसे लगा बूढ़ा सचमुच पागल है। तब व्यंग्य से पूछा-
'क्यों जो भी मैं चाहूँगा, तुम दे दोगे? 'मैं नहीं दूँगा मूर्ख ! तू खुद पा लेगा। 'वह कैसे ?'
'पहले तुम यह बताओ कि चाहते क्या हो ?'
'मैं दुनिया का सुख और आराम चाहता हूँ।
युवक ने मजाक किया।
'पा सकते हो।' पागल बूढ़ा बोला- 'बताओ कैसे ? '
'मैं तुम्हें एक हीरा और मोती दूंगा। फिर उससे तुम जो चाहो पा लेना ।'
'लाओ दो।' युवक ठठाकर हँसने लगा। 'हाँ सुन- मैं एक हीरा कर्म का देता हूँ और दूसरा मोती समय का। इनको संभालकर रख ले। जा,
तू सबकुछ पा जाएगा।
वह युवक उसकी बात पर हँस पड़ा और उसे बेवकूफ समझता आगे बढ़ गया। कुछ दूर जाने पर उसका माथा ठनका.... 'एक हीरा कर्म का और एक मोती समय का । '
अचानक युवक की छठी इन्द्रिय सचेत हो गई 'कर्म और समय ! समय और कर्म । '
वास्तव में यही हीरा - मोती, मोती- हीरा हैं। और सचमुच यह जिनके पास हैं वह सब कुछ पा सकता है।